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कर भला तो हो भला , अंत भले का भला। A good deed always comes around

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एक बार एक चींटी किसी पेड़ की शाखा पर चल रही थी।  पेड़ नदी के किनारे पर ही स्थित था। अचानक हवा के एक तेज झोंके ने चींटी को पेड़ से नीचे नदी में गिरा दिया।  अब चींटी अपनी जान बचाने की हर संभव कोशिश करने लगी। परन्तु असफल रही। चींटी अपनी सहायता के लिए इधर उधर देखने लगी।  वह डूब रही थी।  अचानक डूबती हुई उस चींटी पर एक चिड़िया की नजर पड़ी।  चिड़िया को चींटी पर दया आ गई। और उसने उसकी जान बचने की सोची।    चिड़िया ने इधर उधर देखा तो उससे कुछ पेड़ के सूखे पत्ते पड़े दिखाई दिए।  चिड़िया ने फुर्ती से एक पता अपनी चोंच में दबाया और उड़ाकर नदी में  डूबती चींटी के पास फेंक दिया। चींटी उस पत्ते पर तुरंत चढ़ गयी और इस तरह उसकी जान बच गयी।  कुछ दिनों बाद उसी जंगल में एक शिकारी चिड़ियों के शिकार के लिए आया।  वही चिड़िया उस वक्त एक पेड़ की डाल पर बैठी थी और उससे शिकारी के होने का कोई अंदाजा नहीं थी शिकारी ने घात लगते हुए चिड़िया पर निशाना साधा।  यह सब भाग्यवश वही चींटी जो की पेड़ के तने पर बैठी थी उसने देखा। चींटी ने बिना कोई क्षण गवाएं तुरंत शिकारी की तरफ बढ़ी और उसकी बांह पर चढ़ गयी।  और उसकी बांह पर बहुत जोर से काटा।  शिक

भगवान् क्या कहते हैं। What does GOD say.

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(गीता सार ) "परिवर्तन संसार का नियम है।  जिसे तुम मृत्यु समझते हो , वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ो के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो।  मेरा-तेरा , छोटा -बड़ा , अपना-पराया , मन से मिटा दो , फिर सब तुम्हारा है , तुम सबके हो। " " न ये शरीर तुम्हारा है , न तुम शरीर के हो। यह अग्नि ,जल, वायु , पृथ्वी , आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है - फिर  तुम क्या हो ?" " तुम अपने आपको भगवान् को अर्पित करो। यही उत्तम सहारा है।  जो इस सहारे है वह भय , चिंता ,शोक से सर्वदा मुक्त है। " " जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान् को अर्पण करता चल।  ऐसा करने से सदा जीवन -मुक्त का आनंद अनुभव करेगा। "  🌿 ______________________🌿 English translation-   What does GOD say. (Essence of the religious book Geeta) "Change is the law of the universe. What you think of as death, is indeed life. In one instance you can be a millionaire, and in the other instance you can be steeped in poverty. Yours and mine, big and small -

अच्छे कामों का चक्र । The Circle of Good Deed

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एक बार की बात है श्री कृष्ण और अर्जुन नगर में घूमने के लिए गए। उन्होंने एक गरीब दिखने वाले पुजारी को भीख मांगते देखा। अर्जुन को उस पर दया आई और उसने उसे 100 सोने के सिक्कों से भरा एक थैला दिया। पुजारी बहुत खुश हुआ और उसने अर्जुन को धन्यवाद दिया। वह अपने घर के लिए निकल गया। रास्ते में उसे एक और व्यक्ति दिखाई दिया जिसे मदद की ज़रूरत थी। पुजारी उस व्यक्ति की मदद के लिए एक या दो सिक्के बख्श सकता था। हालाँकि, उन्होंने इसे अनदेखा करना चुना। लेकिन रास्ते में उनके घर जाते समय एक चोर ने उनके सिक्कों से भरा बैग लूट लिया और भाग गए। पुजारी उदास हो गया और भीख मांगने के लिए फिर से वापस चला गया। अगले दिन फिर जब अर्जुन ने उसी पुजारी को भीख मांगते देखा और वह हैरान रह गया कि सिक्कों से भरा बैग जो जीवन भर चल सकता है, पुजारी अभी भी भीख मांग रहा था! उसने पुजारी को बुलाकर इसका कारण पूछा। पुजारी ने उसे पूरी घटना के बारे में बताया और अर्जुन को फिर से उस पर दया आई। तो, इस बार उसने उसे एक हीरा दिया। पुजारी बहुत खुश हुआ और घर के लिए निकल गया और उसने फिर से किसी ऐसे व्यक्ति को देखा जिसे मदद की ज़रूरत थी लेकिन उसन

पहला सुख निरोगी काया । (The first happiness is health body)

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पहला सुख निरोगी काया ।- सच ही तो है।   स्वस्थ रहना परम सुख- पुरानी कहावत है कि पहला सुख निरोगी काया अर्थात शरीर का स्वस्थ रहना ही सबसे बड़ा सुख हैं, सारे सुख शरीर द्वारा भी भोगे जाते हैं. अतः शरीर रोगी हो तो सारे सुख बेकार हैं. स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मस्तिष्क अर्थात स्वस्थ मन का होना संभव हैं. तन और मन दोनों के स्वस्थ रहने पर ही, मनुष्य जीवन सच्चा सुख भोग सकता हैं. स्वस्थ जीवन के लाभ- स्वस्थ जीवन ईश्वर का वरदान हैं. स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन के सुखों का उपभोग कर सकता हैं. स्वस्थ व्यक्ति ही अपने सारे दायित्व समय से पूरा कर सकता है. समय पड़ने पर औरों कि भी सहायता कर सकता है. शरीर स्वस्थ और बलवान होता है. तो ऐसे वैसे लोग बचकर चलते है नहीं तो  तिनि दबावत निबल को, राजा पातक रोग स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता हैं. तन और मन से स्वस्थ व्यक्ति किसी पर भार नहीं होता बल्कि औरों के भार को भी हल्का करने में सहायक होता हैं. स्वस्थ व्यक्ति ही सेवाओं में प्रवेश पा सकता हैं. स्वस्थ नागरिक ही देश कि शक्ति होते हैं. स्वस्थ व्यक्तियों का परिवार सदा आनन्दमय जीवन बिताता हैं. स्वस्थ रहने के उपाय- निय

"जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है,वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भीअच्छा ही होगा। ("Whatever happened, it happened for good, whatever is happening, it is happening for good, whatever will happen, it will also be good.)

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भगवान् जी के शब्द।  (गीता सार)  "जो   हुआ ,  वह   अच्छा   हुआ ,  जो   हो   रहा   है , वह   अच्छा   हो   रहा   है ,  जो   होगा ,  वह   भी अच्छा   ही   होगा।   तुम   भूत   का   पश्चाताप   न करो।   भविष्य   की   चिन्ता   न   करो।   वर्तमान चल   रहा   है।" 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 तुम्हारा   क्या   गया ,  जो   तुम   रोते   हो ?  तुम क्या   लाए   थे ,  जो   तुमने   खो   दिया ?  तुमने क्या   पैदा   किया   था ,  जो   नाश   हो   गया ?  न तुम   कुछ   लेकर   आए ,  जो   लिया   यहीं   से लिया।   जो   दिया ,  यहीं   पर   दिया।   जो   लिया , इसी  ( भगवान )  से   लिया।   जो   दिया ,  इसी को   दिया।" 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 "खाली   हाथ   आए   और   खाली   हाथ   चले।   जो आज   तुम्हारा   है ,  कल   और   किसी   का   था , परसों   किसी   और   का   होगा।   तुम   इसे   अपना समझ   कर   मग्न   हो   रहे   हो।   बस   यही प्रसन्नता   तुम्हारे   दु : खों   का   कारण   है।" 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 "क्यों   व्यर्थ   की   चिंता   करते   हो ?  किससे   व्यर्थ   डरते   हो ?  कौन   तुम्हें   मार   सक्ता   है ?  आ

देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा होता है - प्रेरक प्रसंग : स्वामी विवेकानंद I The joy of giving is greater than the pleasure of receiving - Inspirational story: Swami Vivekananda

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  भ्रमण एवं भाषणों से थके हुए स्वामी विवेकानंद अपने निवास स्थान पर लौटे। उन दिनों वे अमेरिका में एक महिला के यहां ठहरे हुए थे। वे अपने हाथों से भोजन बनाते थे। एक दिन वे भोजन की तैयारी कर रहे थे कि कुछ बच्चे पास आकर खड़े हो गए। उनके पास सामान्यतया बच्चों का आना-जाना लगा ही रहता था। बच्चे भूखे थे। स्वामीजी ने अपनी सारी रोटियां एक-एक कर बच्चों में बांट दी। महिला वहीं बैठी सब देख रही थी। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। आखिर उससे रहा नहीं गया और उसने स्वामीजी से पूछ ही लिया- 'आपने सारी रोटियां उन बच्चों को दे डाली, अब आप क्या खाएंगे?' स्वामीजी के अधरों पर मुस्कान दौड़ गई। उन्होंने प्रसन्न होकर कहा- 'मां, रोटी तो पेट की ज्वाला शांत करने वाली वस्तु है। इस पेट में न सही, उस पेट में ही सही।' देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा होता है। ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ENGLISH TRANSLATION - The joy of giving is greater than the pleasure of receiving - Inspirational story: Swami Vivekananda Tired of trave

जीवन में कठिनाइयां हमें मजबूत बनाने के लिए ही तो आती हैं ( Difficulties in life come only to make us strong)

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एक बार एक व्यक्ति ने अपने बगीचे में एक पेड़ पर तितली के कोकून को देखा (कोकून -महीन धागो का आवरण जो तितली के बच्चे को व्यस्क होने तक उसकी रक्षा करता है।) उस कोकून में एक छेद था जिसमे से तितली का बच्चा बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहा था। बहुत देर तक संघर्ष करने के बाद भी जब तितली का बच्चा बहार न आ पाया तो वो शांत होकर बैठ गया।  जो व्यक्ति यह सब देख रहा था उससे लगा की तितली ने हार मान ली है। व्यक्ति के मन में दया आयी और वह अपने घर में से एक कैंची लाया और उस कैंची से कोकून के उस छेद को उसनेबड़ा कर दिया ताकि बच्चा बहार आ सके और उड़ सके।  कोकून का छेद बड़ा होने की वजह से बचा आसानी से बहार आ गया पर जब उसने उड़ने की कोशिश की तो वो उड़ सका और कमजोर पंख होने के कारन नीचे गिर गया। कोकमजोर पंखो के साथ उड़ने की कोशिश करने पर वो उड़द न सका और मर गया।  ये बात देख व्यक्ति हैरानी और दुःख हुआ।  घर आकर ये घटना  उसने अपने बुजुर्ग को बताई।  बुजुर्ग ने बताया की प्रकृति ने कोकून से बाहर आने की प्रक्रिया को इतना कठिन बनाया है ताकि कोकून से बहार आने के संघर्ष में तितली के शरीर के तरल पद्दार्थ उसके पंखो तक आ सके और उन्हे